शकील अख़्तर
क्या हम किसी भी स्पीशीज के या अपने आसपास दिखने वाले किसी भी डॉग, कुत्ते या श्वान को एक समझदार और ट्रेंड यानी प्रशिक्षित और परफॉरमेंस के काबिल डॉग बना सकते हैं। ऐसा डॉग जो हमें समझे, हमारा दोस्त बने। घर का सबसे प्यारा सदस्य! एक डॉग को शानदार समझदार बनाने की क्या तरकीबें हैं ? वह क्या तकनीक है जिसकी वजह से डॉग इशारों में ही हमारी बात समझने लगते हैं।
डॉग्स की ट्रेनिंग का लंबा अनुभव
इंदौर के नवरतन बाग के रहने वाले अनिमेष चतुर्वेदी डॉग्स की परवरिश से लेकर ट्रेनिंग तक बरसों का अनुभव रखते हैं। तीन पीढ़ियों से उनके परिवार में कुत्ते, तोते, मैना, खरगोश, गिलहरी, रंगीन मछलियां और गिनिपिग्स सदस्य की तरह रहते आए हैं। इसके अलावा अनिमेष ने पशु व्यवहार और उससे जुड़ी हर छोटी बड़ी जानकारी पाने के लिए मीलों की खाक छानी है। वे साधुओं से लेकर तिब्बती प्रवासियों से मिले हैं। कलंदर, मदारी, बंजारों, पशु प्रेमियों, सर्कस के एनिमल ट्रेनर्स से मुलाकात की हैं। भील, गोंड, घुड़साल के रखवालों से लेकर वेद, साहित्य और पशु विज्ञान की सैकड़ों पुस्तकों का गहरा अध्य्यन किया है। मॉर्डन ट्रेनिंग टेकनीक और मेडिकल उपचार के बारे में सीखा है।
डॉग से जुड़े हर सवाल का जवाब
यह पुस्तक आठ हिस्सों में विभाजित की गई है। इसमें डॉग से जुड़े हर सवाल का जवाब मिलता है। जैसे आखिर डॉग नाम की यह चीज है क्या, इसकी नस्लों का डीएनए क्या है, इन्हें कैसे हम चुन सकते हैं, इनका पौराणिक और ऐतिहासिक संदर्भ क्या हैं, घर में आए नए डॉग का सबसे कैसे परिचय कराना चाहिए, कैसे उसे इशारे से समझाया या पुकारकर बुलाया जाता है। उसकी फूड हैबिट्स कैसे बनाई जाती है। यूरिन या शौच जैसी आदतें उसे कैसे सिखाई जा सकती हैं।
हर डॉग लवर के लिए जरूरी किताब
“डॉग ट्रेनिंग, पालतू श्वान-प्रशिक्षण” नाम की यह पुस्तक उन सभी डॉग प्रेमियों के लिए संग्रहणीय है जो अपने कुत्तों से सच में प्यार करते हैं। जैसा की किताब में कहा गया है, एक डॉग को सही तौर पर सिखाने और ज्ञान देने वाला उसका मालिक ही हो सकता है। दुनिया में कोई और कभी नहीं हो सकता। ऐसे में इस पुस्तक की अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह पुस्तक सिर्फ डॉग्स के बारे में ही नहीं कई और पालतू प्राणियों के विभिन्न पहलुओं के बारे में भी जानकारी देती है।