राजनीतिक लेखन के क्षेत्र में मील का पत्थर है कृष्ण मोहन झा की नई पुस्तक
शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020 (16:34 IST)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उल्लेखनीय उपलब्धियों, उनकी विलक्षण कार्य शैली, अद्भुत इच्छाशक्ति, मौलिक सूझ-बूझ और कर्मठ व्यक्तित्व पर आधारित अनेक पुस्तकें विगत 5-6 वर्षों में प्रकाशित हो चुकी हैं।
इनमें से अधिकांश पुस्तकें हिंदी भाषा में लिखी गई थीं परंतु उनमें भी कुछ ही पुस्तकें पठनीय साबित हुई और पर्याप्त संख्या में पाठक जुटाने में सफल हो सकीं। उन चंद पुस्तकों में एक पुस्तक विशेष चर्चित रही जो मध्यप्रदेश के सुप्रसिद्ध राजनीतिक विश्लेषक एवं प्रखर पत्रकार कृष्ण मोहन झा द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के प्रथम कार्यकाल के दौरान लिखी गई थी। इस पुस्तक का शीर्षक था- यशस्वी मोदी।
थोड़े से समय में ही प्रधानमंत्री मोदी की ऐतिहासिक उपलब्धियों ने उन्हें जिस यश अर्जन का अधिकारी बनाया उसका रोचक शैली में आलोचनात्मक मूल्यांकन प्रस्तुत करने वाली इस बहुचर्चित कृति की सफलता ने लेखक कृष्ण मोहन झा को शायद यह सोचने पर विवश कर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है और उन्होंने ‘महानायक मोदी’ शीर्षक से एक नई कृति की रचना करने का फैसला कर लिया। जिसकी शुरुआत उन्होंने गत लोकसभा चुनावों की घोषणा के पूर्व ही कर दी थी। लेखक का अनुमान सच साबित हुआ।
मोदी इन चुनावों में महानायक बनकर उभरे। लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत से प्रधानमंत्री की कुर्सी पर आसीन होते ही अनेक साहसिक फैसलों के अपनी दूसरी पारी की धमाकेदार शुरुआत की और वह सिलसिला जिस त्वरित गति से आगे बढता रहा उसी गति से कृष्ण मोहन झा की नवीनतम भी आकार लेती रही।
इस पुस्तक को पूरा पढ़ने के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि श्री झा ने इस साल के प्रारंभ में ही इसे बाजार में लाने की योजना बना रखी थी परंतु उसमें कुछ विलंब होने के बाद कोरोना संकट ने भी पुस्तक के प्रकाशन की तिथि आगे बढ़ाने के लिए उन्हें विवश कर दिया। अंततः उन्होंने अपनी बहुप्रतीक्षित कृति को प्रधानमंत्री की जन्मतिथि के शुभ अवसर पर प्रकाशित करने का फैसला किया।
इस पुस्तक की भूमिका केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लिखी है जो इसे राजनीतिक लेखन के क्षेत्र में मील का पत्थर मानते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल की जो महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां उनके महानायकत्व की साक्षी हैं उनकी इस कृति में जिस रोचक शैली और सहज सरल भाषा में विशद मूल्यांकन किया गया है वही इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता है। लेखक कृष्ण मोहन झा ने अपनी इस नवीनतम कृति को गागर में सागर भरने का विनम्र प्रयास बताया है। निश्चित रूप उन्हें अपने इस प्रयास में पर्याप्त सफलता मिली है।