हिन्दी दिवस पर हिन्दी की ही जय-जयकार होगी,सारे अखबार,टेलीविजन,सामाजिक समुदाय सभी हिन्दी दिवस को महिमामंडित करते हैं हिन्दी से संबंधित सारे प्रभावशाली लेख,हिन्दी से जुडा इतिहास सभी कुछ आज पढ़ने को मिल जाएगा,लेकिन एक चुपचाप सी क्रांति भी चल रही है इसके समर्थन में...... जो हिन्दी को बढ़ावा दे रही है आप किसी भी मोबाईल में देख लीजिए उसमें आप को हिन्दी फ़ोंट मिलेंगे तथा किसी में हिन्दी तिथि दर्पण की विशेष सुविधा भी मिलेगी, सोचा है क्यों ?.........
बुद्धिजीवी तो हिन्दी के प्रचार प्रसार की चिंता और प्रयास करते ही हैं लेकिन जब सुर की देवी लताजी अपनी अभिव्यक्ति के लिए हिन्दी को चुनती है ,अभिनय के बेताज बादशाह अमिताभ बच्चन अपने कार्यक्रम में एक मशीन को भी जी कहकर संबोधित करते हैं,तो हमें विश्वास होने लगता है कि धीरे-धीरे ही सही उनका अनुकरण करते हुए कई लोग अपनी हिन्दी सुधारने में लगे हैं।
पंचकोटी महामणि जैसे शब्द जनमानस के लिए नए नहीं रहे।भाषा की कमियां देखने के बनिस्बत हम यह सोचें कि इसका ज्यादा से ज्यादा प्रयोग किस तरह करें।हिन्दी की प्रथम पत्रिका ‘सरस्वती’ के प्रकाशन के समय 'महावीर प्रसाद द्विवेदीजी' ने लोगों को प्रेरित किया कि 'वें हिन्दी में लिखें,' फ़िर उस भाषा को परिष्कृत करके सही रुप में प्रस्तुत किया। आज वही कार्य पुन: प्रारंभ होना चाहिए।
हिन्दी दिवस पर आज दूरदर्शन हिन्दी भाषा राष्ट्रीय सम्मान का प्रसारण कर रहा है.... बाकी चैनलों पर यह सिर्फ़ एक समाचार न हो कर सीधा प्रसारण होता या इसका विज्ञापन किया जाता तो आज तस्वीर दूसरी होती ! जब हिन्दी दिवस मनाने की जरुरत आन ही पड़ी है तो इसे यूं मनाएं कि हर रोज़ हिन्दी दिवस मन जाए। हर दिन हिन्दी दिवस बन जाए...