इसलिए 14 सितंबर को मनाया जाता है हिंदी दिवस... : जब अंग्रेजों के चंगुल से भारत देश आजाद हुआ था तो वह अपने कल्चर को भारत में ही छोड़कर चला गया था। तब से अधिकतर सरकारी कार्य अंग्रेजी भाषा में ही किए जा रहे थे, लेकिन वह स्वीकार्य नहीं था।
संविधान तैयार करने के दौरान एक सबसे बड़ा मुद्दा उठा संविधान में आधिकारिक भाषा किसे चुना जाएं। गौरतलब है कि भारत बहुआयामी देश है। यहां हर वर्ग, हर धर्म को अपने त्योहार और बोली बोलने का अधिकार है..लेकिन आधिकारिक भाषा को लेकर समस्या गहराती गई।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसे ऐतिहासिक दिन घोषित किया। इसीलिए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। गौरतलब है कि 1949 के बाद 1950, 1951 और 1952 में हिंदी दिवस नहीं मनाया गया था। वहीं 1953 में आधिकारिक रूप से पहला हिंदी दिवस मनाया गया।
हिंदी के विरूद्ध उठी आवाज... : जब हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया जा रहा था, तब मुख्य रूप से दक्षिणी राज्यों और पूर्वोत्तर में हिंदी के विरूद्ध आवाज उठी थी। हालांकि आज भी हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा नहीं मिला है। उत्तर भारत और पश्चिमी भाषा में हिंदी बोलचाल की आम भाषा है। लेकिन हिंदी भाषा राजभाषा के दर्जे से वंचित है।