10 लाइन नरक चतुर्दशी पर निबंध हिंदी में

WD Feature Desk

शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2024 (16:15 IST)
1. narak chaturdashi essay : दीपावली से ठीक एक दिन पूर्व नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। नरक चतुर्दशी का दूसरा नाम छोटी दिवाली भी है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी या नर्क चतुर्दशी कहते हैं। 
 
2. हिंदू धर्म में यह दिन महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना गया है। नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके यम तर्पण करने तथा सायंकाल के समय दीपदान का बड़ा महत्व है। 
 
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3. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती है। इस अवसर पर चौदह दीप जलाएं जाते हैं। 
 
4. घर के हर कोने को प्रकाशित करना ही नरक चतुर्दशी को मनाने का मुख्य उद्देश्य है। यह पर्व हमें देवी-देवता आराधना, यम दीपदान तथा अपनी सुंदरता निखारने को भी दर्शाता है।
 
5. इस दिन को यम के नाम से भी जानते हैं। इसीलिए शाम होने के बाद घर और उसके चारों ओर दीये जलाए जाते हैं और यमराज से अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वस्थ जीवन की कामना की जाती हैं।
 
6. नरक चतुर्दशी को ही हम रूप चौदस और काली चौदस के नाम से भी जानते हैं। अत: इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर तेल लगाकर और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर स्नान करके भगवान विष्णु और कृष्ण मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करने का भी महत्व है। मान्यतानुसार इससे पापों की मुक्ति होकर सौंदर्य तथा रूप की प्राप्ति होती है। 
 
7. इस संबंध में मान्यता है कि जो व्यक्ति नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय होने से बाद नहाता हैं, उसे वर्षभर में किए गए अच्छे कार्यों का फल प्राप्त नहीं होता है।
 
8. इस दिन को काली चौदस भी कहते हैं, अत: इस रात्रि माता काली का पूजन किया जाता है। इस दिन को बंगाल में मां काली के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिसके कारण इसे काली चौदस कहा जाता है। इसलिए इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है और माता के आशीर्वाद से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
 
9. नरक चर्तुदशी की एक प्रचलित कथा के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी राक्षस नरकासुर का वध किया था। नरकासुर जिसे भौमासुर भी कहा जाता है, उसने पृथ्वी के कई राजाओं और आमजनों की अति सुंदर कन्याओं का हरण कर उन्हें अपने यहां बंदी गृह में कैद कर लिया था और भगवान श्री कृष्‍ण ने उन सभी को नरकासुर से मुक्त कराया था। अत: इसी उपलक्ष्य में दीयों की बारात सजाई गई थी।
 
10. इस दिन पूरे भारतवर्ष में रूप चतुर्दशी का पर्व यमराज के प्रति दीप प्रज्ज्वलित करके यम के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए भी मनाया जाता है।  
 
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