नवरात्रि में मां दुर्गा की स्तुति के बाद अगले वर्ष आर्थिक सुदृढ़ता की कामना के लिए शरद पूर्णिमा के दिन सायंकाल मां लक्ष्मी की पूजा होती है। मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने वाला कारीगर ही लक्ष्मी की प्रतिमा बनाते हैं। पुरानी लक्ष्मी प्रतिमा का विसर्जन करके नई प्रतिमा को अगले वर्ष तक संभालकर रखा जाता है। मां लक्ष्मी को पांच तरह के फल व सब्जियों के साथ नारियल भी अर्पित किया जाता है। मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना होती है।
पूजा में लक्ष्मीजी की प्रतिमा के अलावा कलश, धूप, दुर्वा, कमल का पुष्प, हर्तकी, कौड़ी, आरी (छोटा सूपड़ा), धान, सिंदूर व नारियल के लड्डू प्रमुख होते हैं। जहां तक बात पूजन विधि की है तो इसमें रंगोली और उल्लू ध्वनि का विशेष स्थान है।