एक मच्छर...

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एक रात को संतासिंह सो रहे थे कि एक मच्छर उनके कान के पास आया और गुनगुन करने लगा। इससे संतासिंह की नींद खुल गई। फिर जैसे ही वो सोने की कोशिश करते मच्छर उनके कान के पास आवाज करने लगता।

संतासिंह को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने मच्छर को पकड़ लिया। मच्छर मर गया लेकिन उसमें से खून नहीं निकला। संतासिंह बोले- सो जा मच्छर बेटे, सो जा।

थोड़ी देर बाद उन्हें लगा कि मच्छर गहरी नींद में सो चुका है तो वे उसके पास गए और उसके कान के पास जाकर बोले- 'गुननननन-गुनननन'।

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