घोंचू- आप जो मुझे जिंदा देख रहे हैं इसका पूरा श्रेय डॉ. जोशी को जाता है।
पोंचू- सच! ...क्या हुआ तुम्हें?
घोंचू - मुझे मामूली जुकाम था। मैंने डॉ. शर्मा का इलाज किया तो जुकाम बुखार में तब्दील हो गया। फिर मैंने डॉ. वर्मा की दवाई ली तो बुखार निमोनिया बन गया। फिर डॉ. ज्ञानी के इलाज से मेरी सांस ही उलटी चलने लगी।
पोंचू- ओह! फिर क्या हुआ?
घोंचू- घबराकर मेरी पत्नी ने डॉ. जोशी को फोन किया। उन्होंने आने से इंकार कर दिया... इसी की बदौलत मैं बच गया और आज जिंदा हूं।