कोरोनाकाल के लंबे अवकाश के बाद जब स्कूल खुले तो सत्र की शुरुआत के पहले दिन, पहले ही पीरियड में जब शिक्षक अपना रजिस्टर लेकर कक्षा में दाखिल हुए तो वहां फ़क़त एकमात्र छात्र को देखकर उनका ह्रदय अंदर ही अंदर गदगद हो गया परंतु अपनी कर्मठता दर्शाने के लिए उन्होंने अपनी भवों को तिरछा कर लिया और दो मिनट कक्षा में चहलकदमी करने के बाद उस छात्र से बोले :
जनाब जब बालक पहले ही दिन पढ़ने आया था तो कुछ तो विशेष होगा ही उसमें। तुरंत बोला,
सर, मेरे घर पर दूध का कारोबार होता है और 15 गाय हैं। अब आप एक पल के लिए फर्ज करो कि मैं सुबह उन पंद्रह गायों को चारा डालने जाता हूं और पाता हूं कि चौदह गाय वहां नहीं हैं तो क्या उन चौदह गायों के कहीं जाने की वजह से मैं उस पंद्रहवीं गाय का उपवास करा दूं?
शिक्षक को उस बालक का उदाहरण बहुत पसंद आया और उन्होंने अगले दो घंटे तक उस बालक को अपने ज्ञान की गंगा से पूरा सराबोर कर दिया और कहा,तुम्हारी गायों वाली तुलना मुझे बहुत पसंद आई थी। कैसा लगा मैं और मेरा पढ़ाना?
बालक अदभुत था इसलिए तुरंत बोला, सर, आपका पढ़ाना मुझे पसंद आया लेकिन आप पसंद नहीं आए।
शिक्षक ने तुरंत पूछा, क्यों?