दिल की बातें करते रहे सभी
फेफड़े का कुछ बताया ही नहीं,
फेफड़ा भी स्वाभिमानी निकला
गुस्सा था, पर जताया ही नहीं।
इतना नाराज थे ऐ दोस्त!
तो कम से कम जताया तो होता
ऐसा पता होता तो तुझे
अलग ही सम्मान दिलाया होता,
अपनी महबूबा को दिल से नहीं,
तुझसे मिलाया होता।