बहू विवाह के दूसरे दिन सुबह 7 बजे ज्योँ ही सो कर अपने कमरे से बाहर निकली,
त्यों ही ड्राइंगरूम में बैठी सास की कड़क आवाज सुनाई दी...
अब ये देर से सोकर उठने का तरीका यहां नहीं चलेगा।
बहू ये सुनते ही वापस अपने कमरे में गई और एक डायरी और एक छोटा सा चमड़े का बैग ले कर वापस आई और सास के बगल में बैठ कर डायरी का पन्ना खोल कर पढ़ना शुरू किया।
बहू पढ़ी-लिखी, गुणकारी, संस्कारी और कामकाजी हो। आपने बस अपने बेटे की कीमत लगाई और मेरे पिता ने आपके बेटे को मेरे लिए खरीद लिया।
और हां मम्मी, बिदाई के वक्त मेरे पिता ने ये बैग मुझे देते हुए कहा था...
...बेटी तू जब तक मेरे आंगन में रही सुरक्षित रही, मगर अब आज से तुझे अपनी हिफाजत खुद करनी है।
यह देख सास झट से अपनी उखड़ी सांस को नियंत्रित करते हुए उठी और कहा...
बेटी तू अभी सोकर उठी है रुक मैं तेरे लिए चाय बनाती हूं।