एक बार जोधपुर का फर्नीचर व्यवसायी हीरालाल अपने मित्र के आमंत्रण पर दिल्ली गया।
एक शाम वह अकेला ही एक बार में पहुंचा, बीयर की एक बोतल ली और बार के एक कोने में पड़ी टेबल पर जाकर बैठ गया।
हीरालाल ने अपनी टूटी फूटी अंग्रेजी में उससे बात करने की कोशिश की पर बेकार।
वे दोनों ही एक दूसरे की बात समझ नहीं पा रहे थे।
उसने फिर हां में सिर हिलाया और हीरालाल ने खाने का ऑर्डर भी कर दिया।
खाना खाने के बाद, युवती ने एक कागज लिया,
उस पर पलंग का चित्र बनाकर वह हीरालाल को दिखाकर मुस्कराई।
हीरालाल ने चकित होते हुए उसके जबाब में हां में सिर हिलाया और बिल चुकाकर चला आया।