ए कोरोना कमीन : यह मालवी कविता खूब हंसाएगी

"ए कोरोना कमीन,
 
तू वापिस जाये नी चीन।
 
जाये नी  करम खोडला,
चुपचाप देश में घुसी आयो चोड़ला,
 
थारी न टाँग दिखे न आँख्या,
तेने केयी मनख मार लाख्या,
 
बनी नी अभी तक वैक्सीन,
तू वापिस जाये नी चीन।
 
थारो नास जाये कोड़या,
तेने कई का नी छोड़या,
 
कमावाँ खावाँ या सोवाँ,
थारा नाम ए कसा रोवाँ,
 
दनभर थारा ही समाचार,
सारा संसार में हाहाकार,
 
दुख दे पर प्राण तो मत छीन,
तू वापिस जाये नी चीन।
 
न काम रिया न धंधा,
ऊपर से दो सबके चंदा,
आम आदमी सब तरफ से पिट्यो,
पर नास मिट्या तू नी मिट्यो,
 
थारो फंद कट जावे,
जल्दी यो संकट हट जावे,
ज्यादा दिन नी रेवे दुनिया गमगीन,
तू वापिस जाये नी चीन।
 
मसाण का ल्या कूच्यादिया,
तेने सब तरफ से थकई दिया,
सब जान ग्या चीन की चालाँ,
 
कम है जतरी भी दो गालाँ,
 
थारे दखि के  आवे घीन,
तू वापिस जाये नी चीन।"

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