कल गर्लफ्रेंड की शादी थी,
रोते-रोते उसने कार्ड दिया था,
तो मैं रिसेप्शन में जा पहुंचा !
गेट पर उसके पापा मिले!
मुझे देख वो हीरोपंती फ़िल्म के प्रकाश राज के जैसे थोड़ा सकपका गए,उन्हें लगा शायद मैं कुछ ऐसी-वैसी हरकत न कर दूं,कि,उनकी बेटी की शादी में कुछ ख़लल पड़े!
उनके चेहरे की रंगत देख मैं समझ गया और उनके पां व छूकर कहा, "आप बेफ़िक्र रहें,मैं सिर्फ़ बधाई दे चला जाऊंगा!
स्टेज़ पर जा कर मैंने बनावटी मुस्कान वाली शक़्ल बनाई,गम छुपाया और अपनी गर्लफ्रेंड और उसके पति को wish किया,फिर वापस जाने के लिए गेट की तरफ बढ़ गया!
लेकिन क्या करें जात समाज के बंधन।
तुम तो समझदार हो बेटा, तुम्हें खोने का दुःख मुझे, और मेरे परिवार को हमेशा रहेगा।।
इतना कहते हुए उनका गला भर आया,वो रोने लगे!
मैंने उन्हें कहा, "देखिए अंकल! जो हुआ,अब उसे बदल नहीं सकते,फिर ये आंसू बहाने का क्या मतलब?