विटामिन युक्त ग़ज़ल ग़ालिब के अंदाज़ में : कोई यहां नहाए क्यों
फ़ेसबुक और व्हाट्सएप्प ने सबको शायर बना दिया है लिहाज़ा मैंने भी आलू प्याज बेचने का धंधा छोड़कर शायरी का चोखा धंधा अपना लिया है और पेश कर रहा हूं ग़ालिब के अंदाज़ में एक हरी भरी विटामिन युक्त ग़ज़ल।
अपना नाम भी कद्दू गोरखपुरी रख लिया है ताकि शेरों में विटामिन सिटामिन की कोई कमी न हो।लीजिए गालिब की मशहूर ग़ज़ल दिल ही तो है का भुर्ता पेश है:)