तुम तो बस सूटर ही पेने हो,
जैकेट मेकेट नी पेनी.
मालूम थोड़ी था भिया,
ऐसी कस के पड़ेगी... पेनता हूं अब.
वो देखो, कैसा कंपकपा रिया है.
हां भिया , कट मार ही लेते हैं
बहुत ठंड बजरी है यार !
शाम तक तो और रंग दिखाएगी.
भिया राओम और ... ठण्ड के क्या बोल बाले.
हाथ ही नी निकल रिया हे काका जेब से, तो क्या बोल बाले.
अरे काका ,
पड़ लेना पेपर में, कित्ता गिरा.
और बडे,
कश्मीर ही हो रिया है इन्दौर तो.
बाकी तो सब ठण्डेइ पड़े हैं.
हाँ यार काका, सही कहा
काम धाम ई नी ए.
काँ भिया, तुम भी दुकानदारी ले के बैठ गये.