उस सज्जन ने सोचा- बेकार है ऐसा जीना...! न खा सकता हूं, न पी सकता हूं...! न चल सकता हूं, न फिर सकता हूं...। इससे तो मौत अच्छी। यह सोचकर उन्होंने आत्महत्या करने के लिए 8 माले की ऊंची बिल्डिंग से नीचे छलांग लगा दी। परंतु वे किस्मत के बड़े धनी थे...! मरे नहीं, आंख खुली तो अस्पताल में पड़े थे। डॉक्टर घोंचू बाजू में खड़े थे।
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