एक सीधा-सादा सब्जी वाला सोसायटी में सब्जी बेचता था।
बहुत सारी औरतें उससे उधार सब्ज़ियां लेती थी,
और वो चुपचाप बिना किसी नखरे के उनको दे देता था।
फिर अपनी कॉपी में लिख लेता था किसने कितना देना है और किसका बकाया है।
पर हैरानी की बात है वो किसी का नाम भी नहीं जानता था...
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हां ! पर पूछने पर सबको बिल्कुल सही हिसाब-किताब बताता था।