घर-आँगन से ही बढ़ेगा मालवी का वैभव

ND
मालवी को नए कलेवर और कायाकल्प की जरूरत तो है ही, लेकिन सबसे पहले हमें इसे अपने घर-आँगन से बोलना शुरू करना पड़ेगा। अकादमिक और साहित्यिक कार्यों का अपना महत्व है, लेकिन सबसे पहले हमें मराठी, राजस्थानी और गुजराती की तरह इसे बोल-व्यवहार का हिस्सा बनाना पड़ेगा।

उपरोक्त विचार वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी और कवि नरहरि पटेल ने श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति द्वारा श्रीनिवास जोशी सम्मान से नवाजे जाने के अवसर पर व्यक्त किए। शिवाजी भवन में आयोजित कार्यक्रम में अर्से बाद मालवीप्रेमियों की इतनी बड़ी तादाद मौजूद थी। नरहरिजी ने बड़े एहतराम से मालवा के समर्थ रचनाकारों का स्मरण किया और कहा कि मैं मालवी का अदना-सा सेवक हूँ और अपने गाँव तथा परिवेश की गंध को अपने कलम के जरिए बाँटता आया हूँ।

उल्लेखनीय है कि मालवी के प्रथम गद्यकार श्रीनिवास जोशी की स्मृति में दिए जाने वाले सम्मान का यह चौथा वर्ष था। कार्यक्रम के खास मेहमान थे पूर्व महाधिवक्ता आनंदमोहन माथुर और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. उमरावसिंह चौधरी, समिति की ओर से नरहरिजी को शॉल-श्रीफ़ल, माँ सरस्वती की मूर्ति और मान-पत्र भेंट किया।

मानपत्र का वाचन आयोजन समिति के सदस्य और पर्यावरणविद् डॉ. राकेश त्रिवेदी ने किया। स्वागत संबोधन में श्रीनिवासजी की सहचरी वंदना जोशी ने कहा कि उनके दिवंगत पति की स्मृति में यह समारोह आयोजित कर समिति परिवार सच्ची श्रद्धांजलि दे रहा है। उल्लेखनीय है कि जोशीजी की ख्यात रचना 'वारे पठ्ठा भारी करी' का प्रकाशन सन 1948 में समिति की मुख पत्रिका वीणा में हुआ था।

PR
आनंदमोहन माथुर ने अपने संबोधन में जोशी सम्मान के लिए नरहरिजी को बधाई देते हुए कहा कि ये गुदड़ी के ईमानदार लाल का सम्मान है। डॉ. उमरावसिंह चौधरी ने कहा कि मालवी को नरहरिजी जैसे अनेक सपूतों की जरूरत है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि नरहरिजी इतने समर्थ कलाकर्मी हैं कि चाहते तो किसी भी महानगर में जाते तो यश पाते, लेकिन उन्होंने अपनी मातृभूमि के प्रति सदैव अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. रामकिशन सोमानी ने किया। मालवी लोक गायक नरेन्द्रसिंह तोमर ने मालवी गणेश वंदना गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। कलाकर्मी संजय पटेल ने श्रीनिवास जोशी के मालवी निबंध 'धक्का को चमत्कार' का वाचन किया। कार्यक्रम में कई मालवीप्रेमियों ने नरहरिजी का स्वागत किया। इस अवसर पर नरहरि पटेल की कविताओं की सीडी थोड़ी-घणी भी जारी की गई।

वेबदुनिया पर पढ़ें