हिंदी के जाने-माने साहित्यकार और पत्रकार कन्हैयालाल नंदन का आज तड़के नई दिल्ली में निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे।
नंदन के परिवार के सदस्यों ने बताया कि उन्हें बुधवार शाम रक्तचाप कम होने और साँस लेने में तकलीफ होने के बाद राष्ट्रीय राजधानी स्थित रॉकलैंड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने सुबह तीन बजकर 10 मिनट पर अंतिम साँस ली। वह पिछले काफी समय से डायलिसिस पर थे। उनके परिवार में पत्नी और दो पुत्रियाँ हैं।
नंदन का जन्म उत्तरप्रदेश के फतेहपुर जिले में एक जुलाई 1933 को हुआ था। डीएवी कानपुर से स्नातक करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया और भावनगर विश्वविद्यालय से पीएचडी की। पत्रकारिता में आने से पहले नंदन ने कुछ समय तक मुम्बई के महाविद्यालयों ने अध्यापन कार्य किया।
वह वर्ष 1961 से 1972 तक धर्मयुग में सहायक संपादक रहे। इसके बाद उन्होंने टाइम्स ऑफ इडिया की पत्रिकाओं पराग, सारिका और दिनमान में संपादक का कार्यभार संभाला। वह नवभारत टाइम्स में फीचर संपादक भी रहे।
नंदन को पद्मश्री, भारतेंदु पुरस्कार, अज्ञेय पुरस्कार और नेहरू फेलोशिप सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने विभिन्न विधाओं में तीन दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं। वह मंचीय कवि और गीतकार के रूप में मशहूर रहे। उनकी प्रमुख कृतियाँ लुकुआ का शाहनामा, घाट-घाट का पानी, आग के रंग आदि हैं। सूत्रों ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार कल लोदी श्मशान घाट पर किया जाएगा। (भाषा)