शिवना प्रकाशन प्रमुख और साहित्यकार पंकज सुबीर ने कहा कि महिलाओं के लिए राजनीति हमेशा से निषेध विषय माना जाता है। नई पीढ़ी को लेकर चित्रा जी की इस बात से मैं भी सहमत हूं कि हमारे बाद के पौधों को पानी हम नहीं देंगे तो हमें छांव कहां से मिलेगी। इन दिनों जबकि हमारी कहानियां छीजती जा रही है। उनमें से रस खत्म हो रहा है ऐसे में ज्योति जैन का उपन्यास 'पार्थ तुम्हें जीना होगा' उम्मीद की किरण बन कर आया है। यह उनका प्रथम उपन्यास है और प्रथम का हमेशा स्वागत होना चाहिए। दूसरी रचना से आलोचना या समीक्षा शुरू होनी चाहिए। आजकल की रचनाओं में शब्दों का आडंबर है, भाषा के चमत्कार हैं, शिल्प के टोटके हैं पर बस कहानी ही नहीं है और ज्योति जी के सरल सहज उपन्यास में यह सब नहीं है फिर भी कथानक कहीं से भी बिखरता नहीं है। यही इसकी ताकत है। लेकिन स्थानीयता की कमी खलती है पर राजनीतिक और सामाजिक सरोकारों से भरा यह उपन्यास पठनीयता का सुख देता है।