ज्योति जैन की कृतियां 'चुस्कियाँ व गोदभराई' का विमोचन संपन्न

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम
 
कभी सुकून की चुस्की, तो कभी उलझन का किस्सा है
चाय सिर्फ चाय नहीं, हमारी जिंदगी का हिस्सा है 
 
चाय को लेकर शहर की जानीमानी साहित्यकार ज्योति जैन ने 'चुस्कियाँ ' नाम से आकर्षक किताब रची है जिसका विमोचन रविवार 2 अप्रैल को शहर के जाल सभागार में सम्पन्न हुआ....इस पुस्तक के अनावरण के लिए एमबीए चायवाला के नाम से मशहूर श्री प्रफ़ुल्ल बिल्लोरे विशेष रूप से आमंत्रित थे... रचनाकार ज्योति जैन की मालवी पुस्तक 'गोदभराई' भी इसी समारोह में विमोचित की गई...
 
चुस्कियां व गोदभराई' पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बतौर विशेष अतिथि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ.रेणु जैन और मुख्य अतिथि के रूप में मालवी की लोक और संस्कृतिविद माया बदेका तथा जाने माने ह्र्दय रोग विशेषज्ञ डॉ.भारत रावत भी शामिल हुए.... 
 
वामा साहित्य मंच के बैनर तले आयोजित इस साहित्य आयोजन में चाय पर भी खूब चर्चा हुई और मालवी बोली पर भी मीठी बातें हुई... एक तरफ चाय की चुस्कियां थी तो दूसरी तरफ मालवी बोली की चुटकियां... रविवार की सुबह में पुस्तकों के विषय का स्वाद और रंगत दोनों अपनी जुगलबंदी करते दिखाई दिए...
 
ज्योति जैन के अब तक लघुकथा संग्रह, कहानी संग्रह, काव्य संग्रह, यात्रा संस्मरण, निबंध संग्रह व उपन्यास आ चुके हैं... चुस्कियां व गोदभराई उनके नियमित लेखन से हटकर रची नवीनतम कृतियां हैं....एक मालवी बोली की प्रथम कृति है तो दूसरी चाय पर एक अलग ही अंदाज़ में तैयार की गई वर्तमान साहित्य की नई विधा को स्पर्श करती किताब... 
 
इस मौके पर कुलपति डॉ. रेणु जैन ने चाय से जुड़े अपने संस्मरण सुनाए।मालवी भाषा के संबध में उन्होंने कहा कि इसकी मिठास और भोलापन हमेशा गुदगुदाते है। जय भारत का नारा देते हुए उन्होंने अपनी बात को आकर्षक अंदाज में विराम दिया।
 
इस अवसर पर शामिल एमबीए चायवाला के नाम से अपनी पहचान स्थापित करने वाले श्री प्रफ़ुल्ल बिल्लोरे ने कहा कि जिससे मोहब्बत करें, उसी से शादी करें,मैंने चाय से शादी की है।
 
चाय के ठेले से शुरुआत कर मैं आज यहाँ हूँ। चाय ने जीवन बदला,और दस महीने के बेटे की गोद भराई से जीवन ने गति पकड़ी। उन्होंने  कर्म से व्यक्तिगत पहचान बनाए जाने पर जोर दिया।
 
मालवी बोली की पुस्तक गोदभराई को लोकार्पित करते हुए श्रीमती माया बदेका ने मालवी में "गोद भराई" पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि ज्योति जी ने अपनी विभिन्न वार्ताओं (लघुकथाओं)के द्वारा मालवी की मिठास परोसी है,कि वार्ताओं में सभी रस,अपनापन और समुद्र की गहराई है।
 
ह्र्दय रोग विशेषज्ञ और मोटिवेशनल स्पीकर डॉ.भारत रावत ने अपने उद्बोधन में पूछा...
आप अपने प्रोफेशन के अलावा क्या है?
यह जरूर सोचें।
आजकल आप क्या पढ़ रहे हैं?
यह सवाल अपने साथ बच्चों से भी पूछें।
 
आपने चुस्कियाँ पर अपनी समीक्षा रखते हुए कहा...सिंपल,इनेक्सपेंसिव,नेचरल,सोशल,एक्सेप्टेबल,ईजीली अवेलबल  ये पांचों बातें चाय पर भी लागू होती है। इसलिए खुशियां देती है।
 
ज्योति जैन ने अपनी रचनाधर्मिता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे उनके ज़ेहन में चाय पर लिखने का मन हुआ और कैसे परिस्थितियां चाय की तरह लज्जतदार बनती चली गई... 
 
आरम्भ में वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष इंदु पाराशर ने स्वागत उद्बोधन दिया... सरस्वती वंदना संगीता परमार ने प्रस्तुत की...स्वागत  व स्मृति चिन्ह डॉ. प्रेमकुमारी नाहटा, डॉ.शारदा मंडलोई,पद्मा राजेंद्र, कोणार्क जैन,डॉ.शोभा प्रजापति,अमर चढ्ढा,महेंद्र जैन,रूचि,स्वाति जैन, डॉ.यूएस तिवारी, पुरुषार्थ,राजू बड़जात्या आदि ने किया...

कार्यक्रम का आकर्षक संचालन प्रीति दुबे ने किया और आभार शरद जैन ने माना... कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण विमोचन प्रक्रिया में बच्चा गाड़ी में किताब 'गोदभराई' का और केतली के साथ 'चुस्कियां' किताब का आना रहा... समापन की बेला में बावड़ी हादसा दिवंगतों  के साथ अभय जी,फादर वर्गीस व वैदिक जी को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई... 

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