मंटो ने खुद अपने बारे में यह कहा- ऐसा होना मुमकिन हैं कि सआदत हसन मर जाए और मंटो जिंदा रहे। उनकी देह के अंत के कई वर्षों बाद भी उनकी भारत में लोकक्रियता बरकरार है। मंटो को देश के बंटवारे का दर्द हमेशा खलता रहा। उनकी मशहूर कहानी टोबा टेक सिंह का किरदार बिशन सिंह उनके इसी दर्द को बयां करता है। उनकी लेखनी पर अश्लीलता के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि उनकी रचनाएं सभ्य समाज पर एक करारा तमाचा थी। मंटो ने साहित्य, फिल्म, रेडियो, पत्रकारिता, संस्मरण हर विधा में लेखन किया।
मंटो को मरणोपरांत 14 अगस्त 2012 को पाकिस्तान की स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, वहां की सरकार द्वारा राष्ट्र के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-इम्तियाज द्वारा नवाजा गया था। हालांकि पाकिस्तान की अधिकतर जनता ने मंटो को न तो कभी पढ़ा और न ही स्वीकार किया। मंटो भारत में ही लोकप्रिय हैं। प्रसिद्ध कला अभिनेत्री नंदिता दास द्वारा 2018 में मंटो नाम से फिल्म बनाई, जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मुख्य भूमिका अदा की थी।