द अननोन एज- एक अज्ञात किनारा: 26/11 हमले की अनसुनी दास्तान
मंगलवार, 12 जनवरी 2021 (17:48 IST)
द अननोन एज (एक अज्ञात किनारा)-एक पूर्व बैंकर ने इस पुस्तक में 26/11 में जीवित बचे रहने की अपनी रहस्यमय कहानी सुनाई है, भय और विश्वास के अनुभव साझा किए हैं और व्यापार में आध्यात्मिकता को जोड़ने की अपनी यात्रा के बारे में बताया है।
राजिता कुलकर्णी बग्गा याद करती हैं, 'उस क्षण कुछ भी अर्थ नहीं रखता था, सीईओ और होटलकर्मी, हर कोई एक ही था। हम सभी नीचे लेटे हुए थे, एक दूसरे को पकड़े हुए, विपत्ति से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे। मुझे याद है कि मैं अजय को देख रही थी और मौन में कह रही थी कि मैं इस तरह से अलविदा कहना नहीं चाहती। उस क्षण में कुछ बदल गया। इससे पहले, मैंने अपने जीवन में कभी भी बंदूक की गोली नहीं सुनी थी, ”वह कहती हैं।
राजिता कुलकर्णी बग्गा, अपने पति अजय बग्गा, जो एक अनुभवी वित्तीय बाजार विशेषज्ञ और भारतीय व्यापार टेलीविजन पर एक जाना माना चेहरा हैं, के साथ, मुंबई में ताज होटल में थीं, 26/11 की शाम को वे अपने विवाह की सालगिरह पर रात्रिभोज के लिए बाहर निकले थे।
अपनी पहली पुस्तक, द अननोन एज, में रजिता कुलकर्णी बग्गा, एक पूर्व बैंकर और कॉर्पोरेट लीडर ट्रेनर, अपनी अविश्वसनीय यात्रा के माध्यम से बताती हैं कि किस तरह वह सिटीबैंक के कांच के गलियारों से ब्रुसेल्स में स्थित व्यवसाय में नैतिकता के लिए विश्व मंच के अध्यक्ष के रूप में वैश्विक व्यवसायों को अधिक नैतिक और मानवीय बनाने की दिशा में काम करने के लिए पहुंचती हैं। यह यात्रा 26/11 को एक गम्भीर और रहस्यमय मोड़ लेती है।
कयामत का क्षण कैसे एक व्यक्ति को बदल देता है जिसे पहले सब चीजें अपने नियंत्रण में जान पड़ती थीं। यह जीवन और जीवन में सफलता के प्रति उसकी समझ को कैसे प्रभावित करता है? उस रात उसे किसका फोन आया जिसने उसके सारे सन्देहों को शांत कर दिया? राजिता मौलिक रूप से स्वयं में आए परिवर्तन और उस रात अनुभव किए दु:ख, भय और विश्वास के अनुभव को एक प्रमुख अध्याय में साझा करती हैं।
यह पुस्तक ताज होटल के अंदर उस रात का न केवल एक अंतरंग विवरण प्रदान करती है, बल्कि यह आपको विशाल परिदृश्य के प्रति भी जागरूक करती है, रहस्यवाद के प्रति, जो अक्सर भुला दिया जाता है क्योंकि हम लक्ष्यों का पीछा करने में बहुत व्यस्त हैं जिनका दायरा सीमित और व्यक्तिवादी हो सकता है। अपनी कॉर्पोरेट यात्रा और बाद में एक शिक्षक और नेतृत्व ट्रेनर के रूप में विभिन्न क्षणों के माध्यम से, लेखिका विश्वास की एक छलांग लेती हैं, और अपने पाठकों को इसके साथ ले जाती हैं।
यह एक कॉर्पोरेट के त्यागी हो जाने की सुपरिचित कहानी नहीं है, बल्कि हम जहाँ भी हैं, आध्यात्मिक जीवन जी सकते हैं, इसकी प्रेरणा देती है। हम जो कुछ भी करते हैं, उसमें प्रेम, सेवा, साझेदारी और उत्थान के आध्यात्मिक मूल्यों का सम्मिश्रण करते हुए जीना सीखने की कहानी है।
लेखिका के बारे में
वह एक वरिष्ठ आर्ट ऑफ लिविंग टीचर, मानवतावादी,शिक्षाविद्, लेखिका, वैश्विक नेता और एक नेतृत्व कोच हैं। उन्हें इंडियन नेशनल बार एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'द फेनोमेनल शी' में 'भारत की 100 प्रभावशाली महिलाओं' में से एक के रूप में चित्रित किया गया है। राजिता कुलकर्णी बग्गा कटक स्थित श्रीश्री विश्वविद्यालय की संस्थापक अध्यक्षा भी हैं जो पश्चिम से लिए गए और भारतीय पारंपरिक ज्ञान की प्रणालियों पर आधारित पाठ्यक्रमों के अपने अद्वितीय अकादमिक मिश्रण के लिए लोकप्रिय हो गया है।