वामा साहित्य मंच ने मनाया अपना चौथा स्थापना दिवस और मकर संक्रांति का पर्व
3 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे होने पर किया आयोजन
वामा साहित्य मंच का गठन रचनात्मक सोच और विचारों से संपन्न शहर की प्रबुद्ध महिलाओं ने 5 जनवरी 2017 को किया था तब मंच के संकल्प तो दृढ़ थे पर कल्पना इतनी नहीं थी जितनी लोकप्रियता और सफलता इस मंच ने हासिल की।
वामा साहित्य मंच ने मात्र 3 वर्षों में अपनी सृजनात्मक गतिविधियों और सामाजिक प्रतिबद्धताओं के साथ यह साबित किया है कि यदि इरादे शुभ हों, लक्ष्य स्पष्ट हों और विचारों में समरूपता हो तो किसी भी संगठन की पहचान तेजी से बनती है।
5 जनवरी 2020 को वामा साहित्य मंच ने अपने स्थापना के 3 वर्ष पूर्ण किए और चौथा स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर दिनांक 11 जनवरी 2020 को आयोजित समारोह में नवीन अध्यक्ष, सचिव और कार्यकारिणी का शपथ ग्रहण कार्यक्रम संपन्न हुआ।
नई ऊर्जा और नए तेवर के साथ वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष अमर कौर चड्ढा ने संस्थापक अध्यक्ष पद्मा राजेन्द्र से पदभार ग्रहण किया और शपथ ली। नवनियुक्त सचिव इंदु पाराशर सहित समस्त नवीन कार्यकारिणी ने भी पद की शपथ ग्रहण की।
मंच की अध्यक्ष अमर कौर चड्ढा ने बताया कि मैं अध्यक्ष का पदभार ग्रहण कर अभिभूत हूं और यह विश्वास दिलाना चाहती हूं कि संगठन अपने निर्धारित साहित्यिक लक्ष्यों पर चलता रहेगा। हमारी कोशिश रही कि लेखन के क्षेत्र में रूचि रखने वाली वामा को साहित्य का मंच प्रदान किया जाए और उनके लेखन को निरंतर प्रोत्साहित किया जाए ताकि मंच से जुड़कर वे स्वयं को सुव्यक्त कर सकें। हमारे आज लगभग 100 सदस्य हैं।
सचिव इंदु पाराशर ने कहा कि हमारी कोशिश रहेगी कि पिछली अध्यक्ष और सचिव ने मंच को जो ऊंचाई और गरिमा प्रदान की वह कायम रहे और हम उनके द्वारा स्थापित साहित्यिक मूल्यों और कार्यों को और आगे लेकर जाएं।
संस्थापकअध्यक्ष पद्मा राजेन्द्र ने कहा कि यह अत्यंत भावुक क्षण है मेरे लिए क्योंकि इसे मैंने अपना परिवार माना और सदस्यों ने भी इसी तरह प्यार लुटाया है लेकिन पद मेरी प्राथमिकता कभी नहीं थी। वामा साहित्य मंच के लिए मैं हर क्षण हर पल आज भी और आगे भी उतनी ही तत्परता से कार्य करूंगी।
संस्थापक सचिव ज्योति जैन ने साल भर का लेखाजोखा प्रस्तुत किया और कहा कि वामा साहित्य मंच व्यक्ति प्रधान न होकर उद्देश्य प्रधान संस्था है जहां लोकतांत्रिक रूप से हर सदस्य को अपनी बात कहने का अवसर प्राप्त है। मैं सौभाग्यशाली हूं कि पिछले कार्यकाल में हमने संस्था की गरिमा को बनाए रखा और स्थापित मूल्यों की रक्षा हम कर सके। मैं सचिव के पद से उपाध्यक्ष पद पर आ गई हूं इसलिए जिम्मेदारी कम नहीं हुई अपितु बढ़ी ही है।
हम सब उसे एक साथ चलकर निभाने का प्रयास करेंगे। हमने निरंतर अलग हटकर साहित्यिक आयोजनों का जो लक्ष्य अपने सामने रखा था हमें खुशी है कि वह हम सफलतापूर्वक पूरा कर सके हैं। हमने अपने आयोजनों में विविधता रखी और कोशिश की कि हर किसी को मंच तक आने का मौका मिले।
इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में सुविख्यात कवयित्री रश्मि रमानी शामिल हुईं। उन्होंने कहा कि जब भी इस तरह के रचनात्मक प्रयास देखती हूं तो मन उमंग से भर उठता है। मैं वामा साहित्य मंच को शुभकामनाएं देती हूं कि जैसे पिछले वर्षों में यह संस्था सक्रिय और सजग रहीं वैसे ही आगे भी रहे। अतिथि रश्मि जी ने पतंग और मकर संक्रांति से जुड़ी खूबसूरत रचनाएं भी सुनाईं।
इस अवसर पर सदस्यों ने 'मकर संक्रांति : आकाश में उड़ती मेरी अनुभूतियां' विषय पर अपनी सुंदर रचनाएं प्रस्तुत कीं।
शिरीन भावसार,मधु टांक, भावना दामले, डॉ.किसलय पंचोली, महिमा शुक्ला, रश्मि लोणकर, निशा देशपांडे, प्रीति दुबे, मंजू मिश्रा, डॉ.पूर्णिमा भारद्वाज,स्नेहा काले, शारदा गुप्ता, निरुपमा नागर तथा विद्यावती पाराशर ने पर्व से जुड़ी अपनी मिलीजुली रचनाएं पढ़ीं।
संचालन स्मृति आदित्य, आभार वैजयंती दाते और सरस्वती वंदना आशीष कौर होरा ने प्रस्तुत की। वामा साहित्य मंच कार्यकारिणी स्वरूप
मार्गदर्शक मंडल -डॉ. प्रेम कुमारी नाहटा, शारदा मंडलोई