पहली बारिश, पहला प्यार

WD
आज बारिश,
लगती है नई।
नए अर्थ समझती है।

पहली बारिश पर,
मिटटी की सौंधी महक,
जैसे
प्रथम प्रेम से परिचय।

फि‍र बरसे
तो प्रेम-सी ही
शीतलता
कभी तेज बौछार
चुभती तन को,
मानो प्रेम की हो
आक्रामकता

और जब बदली
बरस जाए-
तो व्‍योम उतना ही
स्‍वच्‍छ और निर्मल,
जितना कि प्रेम।

स्‍पर्श बिना मन को
भिगोने का अहसास
देती है पहली बारिश।

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