फखरुद्दीन सैफी
ये जज़्बात, ये सोच, ये लडाई है नई-नई..
मेरी गलियों कि ये साफ-सफाई है नई नई।
दिल तू अभी से सब कुछ लुटा बैठा है
अभी तो उनसे पहचान हुई है नई-नई।
इतनी जल्दी उन्हें मत दो तमगा ईमानदारी का
समुंदर पार भी अब सरकार बनी है नई-नई।
सैफ खुशनसीब है कि ये जमाना देखा है
इंसान ने खुद अपनी दुनिया बनाई हैं नई-नई।