गोपालदास 'नीरज' की पुण्यतिथि पर पढ़ें 10 लोकप्रिय कविताएं Gopaldas Neeraj
gopaldas neeraj
जन्म- 4 जनवरी 1925
मृत्यु- 19 जुलाई 2018
पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित हिन्दी के कवि गोपालदास नीरज (Indian Poet Gopaldas Neeraj) को कौन नहीं जानता। वे हिन्दी साहित्यकार Hindi literature, शिक्षक और फिल्मों के गीत के लेखक थे। यहां पढ़ें उनकी 10 चुनिंदा कविताएं...
- गीतकार गोपालदास नीरज
1. मुझे न करना याद...
मुझे न करना याद, तुम्हारा आंगन गीला हो जाएगा।
रोज़ रात को नींद चुरा ले जाएगी पपीहों की टोली,
रोज़ प्रात को पीर जगाने आएगी कोयल की बोली।
रोज़ दुपहरी में तुमसे कुछ कथा कहेंगी सूनी गलियां,
रोज़ सांझ को आंख भिगो जाएंगी वे मुरझाई कलियां।
यह सब होगा, पर न दुखी होना तुम मेरी मुक्त-केशिनी!
तुम सिसकोगी वहां, यहां पग बोझीला हो जाएगा,
मुझे न करना याद, तुम्हारा आंगन गीला हो जाएगा।
कभी लगेगा तुम्हें कि जैसे दूर कहीं गाता हो कोई,
कभी तुम्हें मालूम पड़ेगा आंचल छू जाता हो कोई।
कभी सुनोगी तुम कि कहीं से किसी दिशा ने तुम्हें पुकारा,
कभी दिखेगा तुम्हें कि जैसे बात कर रहा हो हर तारा।
पर न तड़पना, पर न बिलखना, पर न आँख भर लाना तुम!
तुम्हें तड़पता देख विरह शुक और हठीला हो जाएगा,
मुझे न करना याद, तुम्हारा आंगन गीला हो जाएगा।
याद सुखद बस जग में उसकी, होकर भी जो दूर पास हो,
किन्तु व्यर्थ उसकी सुधि करना, जिसके मिलने की न आस हो।
मैं अब इतनी दूर कि जितनी सागर में मरुथल की दूरी,
और अभी क्या ठीक कहां ले जाए जीवन की मजबूरी।
गीत-हंस के साथ इसलिए मुझको मत भेजना संदेशा,
मुझको मिटता देख तुम्हारा स्वर दर्दीला हो जाएगा,
मुझे न करना याद, तुम्हारा आंगन गीला हो जाएगा।
मैंने कब यह चाहा, मुझको याद करो, जग को तुम भूलो?
मेरी यही रही ख्वाहिश बस मैं जिस जगह झरूं तुम फूलो।
शूल मुझे दो, जिससे वह चुभ सके न किसी अन्य के पग में,
और फूल जाओ, ले जाओ, बिखराओ जन-जन के मग में।
यही प्रेम की रीति कि सब कुछ देता, किन्तु न कुछ लेता है,