फनी कविता : मौत निठल्ली खड़ी-खड़ी

मौत निठल्ली खड़ी-खड़ी,
हमको खूब समझाती है।


 
क्या जाएगा साथ तुम्हारे,
कर्मों की कथा सुनाती है।।
 
जान-बूझ जो गलत किया,
वे दृश्य दिखाई देते हैं।
बुरे कर्म का यही नतीजा,
कान मेरे सुन लेते हैं।।
 
दो गज कफन तुम्हें मिलेंगे,
ओ खिल्ली मेरी उड़ाती है।
 
माया-मोह में पाप किया जो,
दूसरों के हक को खाया हूं।
जीव-जंतु की हत्या करके,
तुमसे लड़ने मैं आया हूं।।
 
प्राण-पखेरू लेकर मेरा,
हमको सबक सिखाती है।।

 

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