कविता : बात जो मुंह से निकली

श्रीमती गिरिजा अरोड़ा
सूखे पत्तों पर पड़ी चिंगारी, भभक जाएगी
बात जो मुंह से निकली, दूर तक जाएगी
 
चिड़िया पिंजरों से टकराकर पंख फड़फड़ाएगी
हवा धूल को दूर शिखर तक पहुंचाएगी
 
वो गहराई है जो समुद्र के मोती पाएगी
फेन तो लहरों पर कूदकर ही इठलाएगी
 
ध्यान दो, दीवारें भी किस्से बताएंगी
या फिर बातें नदिया सी बह जाएंगी
 
बीज गिर गए थे कुछ अनजाने में
बरसात में उनकी भी फसल लहलहाएगी

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