हिन्दी कविता : बाएं हाथ का खेल

पंकज सिंह
आसान जिंदगी को मुश्किल में डालना
मानो बांए हाथ का खेल है दिखाना
 
जले पर नमक छिड़क कर उकसाना
आग में घी डालकर और भड़काना
 
चिल्ला कर आसमान सिर पर उठाना
आमने-सामने लड़ने की चुनौती देना
 
जीती हुई बाजी हार कर शोक मनाना
चिड़ि‍या के खेत चुगने पर आंसू बहाना
 
दूसरे की किस्मत लिखने का फैसला करना
अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारना
 
जिस डाल पर बैठे उसे ही काट डालना
सोने के अंडे की चाह में मुर्गी हलाल करना
 
गंजे के सिर पर बाल उगाने की कोशिश करना
सरपट दौड़ती जिंदगी को पटरी से उतारना
 
आसान जिंदगी को मुश्किल में डालना
मानो बांए हाथ का खेल है दिखाना

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