स्वतंत्रता दिवस पर कविता : मां भारती की पूजा

-मंजू मिश्रा
 
हर कोई रण में लड़े, ये असंभव-सी बात है,
जो जहां है वहीं रहकर, देश की सेवा करें।
 
मां ने वीर बलवान सैनिक देश की खातिर दिया,
जान देकर बेटे ने मां का सर ऊंचा किया।
 
कवि की कविता में वो शक्ति, देशप्रेम की लगन जगे,
वीरों के पथ पर गिरने की अभिलाषा गर पुष्प करे,
मानव होकर क्यूं फिर न हम प्राण देश के नाम करें।
 
हो चिकित्सक या हो शिक्षक, किसान या मजदूर हो,
हर कोई बस काम अपना डूबकर ऐसे करे।
कर रहा हो भक्त जैसे देव की पूजा मगन।
मां भारती की यही पूजा देशभक्ति का चरम।
 
गीली मिट्टी पर बना दो देशभक्ति के चिह्न गहरे। 
(ब्लू व्हेल गेम का असर देख रहे हैं।)
सूखकर फिर न मिटेंगे लाख कोशिश कोई कर ले।
 
हर कोई रण में लड़े, ये असंभव-सी बात है,
जो जहां है वहीं रहकर, देश की सेवा करें।

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