नई कविता : जीवन स्वप्न है...

बड़ा सुंदर स्वप्न है जीवन
अद्‍भुत मनोरम झण है जीवन
कभी अबूझ पहेली सा 
तो कभी पारदर्शी है जीवन
अनमोल प्राकृतिक उपहार है
रस की सरिता से गुलज़ार है
आकांक्षाओं का एक बाजार है
कोई बेच रहा तो कोई खरीदार है
कभी नादानी तो कभी बेईमानी
इन सब में गिरफ्तार है जीवन
आशा व निराशा भरे जग में
कौतूहल अविराम है जीवन
खुली आंखों में नींद के स्वप्न
ह्रदय में भरे सैकड़ों उन्माद है
माना अत्यंत पीड़ा है जग में
फिर भी अतुल्य मिठास है जीवन।
 

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