या खड़े हुए हैं चुपचाप कोनों में
कर रहे हैं बातें अपने आप से !
मान लिया जाएगा बे-मुरव्वत-
रच रहे हैं ये कोई संगीन साजिश
षड्यंत्रकारी हुकूमत के खिलाफ
उखाड़ फेंकना चाह रहे हैं सरकार को !
वक्त आएगा जरूर हम सबका भी
हो गए हैं सूर्य भी अब उत्तरायण
खबर तो बसंत के आगमन की भी है