भारत में रही सदा सम्पन्नता, सभ्यता, संस्कृति,
छल कपट से मिटी अखण्ड भारत की आकृति।
यहाँ गूंजती रहेगी महान योद्धाओं की वीरगाथा,
भगवा लहराया शिवाजी ने प्रशंसनीय शौर्यगाथा।
सन्1630 ई. में जन्में शिवा, स्थान दुर्ग शिवनेरी,
पिता शाहजी, माता जीजाबाईं धर्मपरायण नारी।
तलवार, तीर, भाले, बरछे साथी बनकर साथ रहे,
युद्धनीति, शासन-प्रबंध में निपूर्ण कुशल हाथ रहे।
गौरिला युद्ध, नौसेना जनक वे श्रेष्ठ रणनीतिकारी,
नारी सम्मान कर्ता, दीन प्रजा के हुए परोपकारी।
ओजस्वी ,धर्मात्मा व जैसे को तैसा के नीतिकारी,
स्वाभिमान जगा के कहा एक मराठा सौ पर भारी।
समझाया जन्मभूमि यह अपनी, नहीं मुगलों की,
हिंदूरक्षक योद्धा नहीं स्वीकारेंगे परतंत्रता इनकी।
संधिया साम-दाम-दंड-भेद नीति अपनाना होगा,
अवज्ञाकारी को छापा मारकर धूल चटाना होगा।
हौंसले बुलंद रखे शत्रुओं को एक वार में हराया,
रिपुदमन शिवाजी ने छत्रपति का सम्मान पाया।