कविता : ताज़ा राजनीति के झरोखों से...
जांबाज, आत्मविश्वासी, चौकस
जुझारू देश है इज़राइल।
दुश्मनों के चक्रव्यूह को तोड़ता
अभिमन्यु देश है इज़राइल।।1।।
जिस देश का हाथ थामने पर
खुद आपको ऊर्जा मिले नई,
ऐसा मोदी के आत्मीय मित्र
नेतन्याहू का देश है इज़राइल।।2।।
छापे पर छापे पड़ रहे
उनके अनगिनत घोटालों पर।
छिड़क रहा है नमक प्रशासन
मानो बहते छालों पर ।।3।।
आधे धँसे हुए दलदल में
चीख रहे हैं लालू अब,
बाहर आकर टूट पडूंगा
मुझे दलदल में धँसाने वालों पर।।4।।
कुछ धक रहे हैं राजनीति में,
कुछ को समर्थक रहे धकेल।
और बिचौलिए घाघ बीच में,
खेल रहे हैं अपना खेल।।5।।
बेचारा जमीनी कार्यकर्ता,
नासमझ सा, असमंजस में,
इस उस पर विश्वास जमाये
रहा यही नौटंकी झेल।।6।।
घांस घोटाला, बेनामी संपत्ति की
जांचों में लालू (घिसट रहे) बेहाल।
जाने कितने जंजालों में
खुद फँस गये केजरीवाल।।7।।
कितने 'आप' के मुखर योद्धा
भूल गये सब अपनी चाल।
खूब उठाते थे सवाल जो
अब उन पर उठ रहे सवाल।।8।।
चीन में चीनी नहीं, न पाक में पाकीज़गी।
फिर भी हिन्द की तो सुगंध बरक़रार है।।
ट्रम्प के ट्रम्पीय तेवर, नेतन्याहू की मधुर मित्रता में भी,
उभरता बार-बार आत्मीयता का ग़ुबार है।।9।।
उजालों से चुंधियाये आलोचकों की क्षुद्र कसौटी में,
क्या खोया/पाया का पैमाना है या कि जीत/हार है।
दिखाई नहीं देता उन्हें दिन के भरचक उजाले में भी,
भारत के प्रति निर्मित जो गहरी
सद्भावनाओं का संसार है।।10।।