इस पर महात्माजी को हंसी आ गई और उन्होंने कहा कि इंसान अपनी पूरी जिंदगी में भी कुछ पूरा नहीं सीख सकता और हमेशा बहुत कुछ न कुछ बचा ही रह जाता है। बहुत-सी चीजें ऐसी हैं, जो सीखने योग्य होती हैं लेकिन वे कहीं किसी किताब में पढ़ने को नहीं मिलतीं। बहुत-सी ऐसी बातें और अनुभव ऐसे हैं जिन्हें किताबों में कभी लिखा ही नहीं गया है। हर इंसान और उसके अनुभव में कुछ न कुछ खास होता है, जो उससे सीखा जा सकता है इसलिए हर किसी को सभी से कुछ न कुछ सीखते ही रहना चाहिए।