नंदा ने गिड़गिड़ाते हुए कहा- मेरा अपराध क्षमा करो, मुझे अपने जीवन का शोक नहीं। मैं अपने बच्चे के लिए शोक कर रही हूं। वह अभी बहुत छोटा है। मेरे न रहने पर उसकी क्या दशा होगी। मैं उसे दूध पिलाना चाहती हूं। यदि तुम मुझे थोड़ी देर के लिए छोड़ दो तो मैं उसे प्यार कर और उसके हित का उपदेश देकर लौट आऊंगी। फिर तुम मुझे खा जाना।
बहुत शपथें खाने के बाद। नंदा को बाघ ने छोड़ दिया। नंदा दौड़ती हुई अपने बछड़े के पास गई और उसे जी भरके दूध पिलाया तथा सभी गायों और बछड़े को बाघ को दी शपथ भी बताई। सभी ने उसे वापस जाने के लिए मना किया, लेकिन वह नहीं मानी। सत्य की रक्षा के लिए वह बाघ के पास चली गई। उसका बछड़ा और सभी गायें रोती रही।