वह लड़का ऐसा बोला मानो कोई बांध फूट गया हो। क्या नाप बताऊं साहब?
मेरी मां की जिंदगी बीत गई। पैरों में कभी चप्पल नहीं पहनी। मां मेरी मजदूर है। कांटे-झाड़ी में भी जानवरों जैसी मेहनत कर-करके मुझे पढ़ाया। पढ़कर अब नौकरी लगी। आज पहली तनख्वाह मिली। दिवाली पर घर जा रहा हूं, तो सोचा मां के लिए क्या ले जाऊं। तो मन में आया कि अपनी पहली तनख्वाह से मां के लिए चप्पल लेकर आऊं। दुकानदार ने अच्छी टिकाऊ चप्पल दिखाई जिसकी 800 रुपए कीमत थी। चलेगी क्या? वह उसके लिए तैयार था।