आज सुबह से ही उसकी दांयी आंख फड़क रही थी।
मां ने कहा-"यह तो शुभ शगुन है।लगता है,आज कुछ शुभ घटेगा।"
तैयार हुआ,तो बहन ने गुड़ खिलाकर शुभकामना दी।चलते समय मन में यह आशंका उठ आई-'कहीं ऐसा न हो कि यह नौकरी भी सिफारिश वालों को मिल जाये।' फिर इस आशंका को झटककर मां को प्रणाम कर भगवान का स्मरण करता हुआ घर से निकला।
बाहर आते ही मेहतरानी तो दिखी,किन्तु गली के मोड़ पर बिल्ली रास्ता काट गई।
सिफारिश एक बार फिर योग्यता पर जीत हासिल कर चुकी थी।