हमारे घर के पीछे खाली जमीन है। माली वहां से गुजर रहा था तभी उसने बताया था कि उसने वहां एक सांप का बिल देखा है। बता रहा था कि शायद सांप के ही अंडे होंगे। लोगों को अकसर बात करते भी सुना है कि वहां नाग-नागिन का जोड़ा रहता है, लेकिन वे किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते। लोग भी उस तरफ नहीं जाते।
घर के बगीचे मैं एक पेड़ पर बया ने अपना घोंसला बनाया हुआ है। एक नहीं, बहुत सारी बया। सुबह-सुबह इनकी चहचहाहट से मेरी नींद खुलती है। जब बाहर बगीचे मैं बैठती शाम को चाय पीती हूं तो इन्हें ही देखती रहती हूं। एकटक। मन ही नहीं भरता...।
इन्हें देखकर मन को सुकून तो मिलता ही है, साथ ही यही सोचती हूं कि एक छोटी-सी चिड़िया अपनी चोंच से क्या घर बुनती है। यह आपने आप में ही एक प्रेरणा है। यह चिड़िया कुछ समय के बाद दूसरी जगह उड़ जाती है, तब तो घर जैसे एकदम सूना हो जाता है। रोज सुबह-सुबह अपने बच्चों के लिए खाना लेने चली जाती है। उसके बाद बड़े प्यार से अपने नन्हों को अपनी चोंच से खाना खिलाती हुई दिखती है।
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एक दिन बाहर बच्चे बहुत हल्ला कर रहे थे। जोर-जोर से चिल्ला रहे थे- 'सांप... सांप...!' मैं भागकर बाहर गई तभी देखा कि एक बड़ा सांप पेड़ पर चढ़ा हुआ था और चिड़ियों के घोंसलों मैं घुस-घुसकर उनके अंडे खा रहा था। देखकर मन पसीज गया। बहुत बेसहारा-सा भाव आ रहा था मन में। सारी चिड़िया शोर करती हुइ इधर-उधर उड़ रही थी। ऐसा लग रहा था, जैसे कुछ पलों में ही उस सांप ने उसका पूरा घर तहस-नहस कर दिया हो।
मैंने जल्दी से रामू काका को मदद के लिए बुलाया। रामू काका बांस लेकर आए ही थे कि वह सांप पेड़ से नीचे उतर गया और अपने बिल की तरफ जाने लगा।
रामू काका उसे देखकर बोले- 'यह तो वही नागिन है जिसने हमारे घर के पीछे अंडे दिए हैं।'
नागिन भी तो एक मां है... उसे देख मैं सोचती रही कि क्या नागिन का चिड़िया के बच्चों को खाना सही था? आखिर वह भी तो एक मां थी।