चरणामृत यानि चरणों का अमृत। हिन्दू धर्म में चरणामृत को बेहद शुद्ध और पवित्र माना जाता है। वैसे तो चरणामृत उस जल को कहा जाता है जिससे ईश्वर के पैर धोए जाते हैं और उसे अमृत के समान समझा जाता है। चरणामृत कच्चे दूध, दही, गंगाजल आदि से बना होता है। इसे आदर स्वरूप अपने माथे पर लगाकर ही इसे सेवन किया जाता है। गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचरितमानस में लिखा है -
लेकिन चरणामृत सिर्फ धार्मिक आस्था के अनुसार ही शुद्ध, पवित्र और लाभकारी नहीं है, बल्कि वास्तव में यह सेहत के लिए लाभकारी होता है। इसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है -