सालभर में 1 हफ्ते के लिए खुलता है मंदिर : कहते हैं कि यह मंदिर पूरे साल खुला नहीं रहता बल्कि यह दीपावली के दिन ही खुलता है और वह भी सिर्फ 1 सप्ताह के लिए। इसके बाद यह मंदिर अगली दिवाली तक के लिए बंद हो जाता है। मंदिर में हसनंबा देवी की पूजा होती है। कहते हैं कि होयसला शासनकाल में इस मंदिर का निर्माण हुआ था।
सालभर तक जलता रहता है दीपक और फूल रहते हैं ताजे : कहते हैं कि मंदिर में 1 सप्ताह तक पूजा-पाठ होती है और अंतिम दिन पूजा पाठ करने के बाद मंदिर के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं, जो फिर अगले साल ही खुलते हैं। अंतिम दिन मंदिर के दरवाजे बंद करने से पहले एक दीपक जला दिया जाता है जिसमें सीमित मात्रा में ही तेल डाला जाता है और साथ ही कुछ ताजे फूल रखे जाते हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार यहां पर जब दीपावली के दिन मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं तो दीपक जलता हुआ मिलता है और इसके अलावा देवी हसनंबा पर जो फूल चढ़ाए गए थे, वो 1 साल बाद भी ताजा ही पाए जाते हैं। स्थानीय धारणा है कि देवी को जो प्रसाद चढ़ाया जाता है, वो अगले साल तक ताजा रहता है।