History of Holi: Holika dahan 2024: हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष अंतिम माह फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन होली का त्योहार मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह पर्व सबसे प्राचीन है। हर काल में ही भारत के हर राज्य में इस उत्सव की परंपरा, नाम और रंग बदलते रहे हैं। आओ जानते हैं होली के उत्सव के इतिहास की 5 खास बातें।
होली के इतिहास का पौराणिक तथ्य :
1. होलिका दहन : सतयुग में इस दिन असुर हरिण्याकश्यप की बहन होलिका दहन हुआ था। प्रहलाद बच गए थे। इसी की याद में होलिका दहन किया जाता है। यह होली का प्रथम दिन होता है। संभव: इसकी कारण इसे होलिकात्वस कहा जाता है।
4. होलिका दहन के बाद 'रंग उत्सव' मनाने की परंपरा भगवान श्रीकृष्ण के काल से यादी द्वापर युग में प्रारंभ हुई। तभी से इसका नाम फगवाह हो गया, क्योंकि यह फागुन माह में आती है। कृष्ण ने राधा पर रंग डाला था। इसी की याद में रंग पंचमी मनाई जाती है। श्रीकृष्ण ने ही होली के त्योहार में रंग को जोड़ा था।