आस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में विजयी छक्का जड़ने वाले केएल राहुल ही थे और न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में संकटमोचक की भूमिका निभाकर भारत को चैम्पियंस ट्रॉफी जिताने में उनका योगदान अनदेखा नहीं किया जा सकता।
यह वही केएल राहुल हैं जिन्होंने 19 नवंबर 2023 को आस्ट्रेलिया के हाथों वनडे विश्व कप फाइनल में भारत की हार के बाद सबसे ज्यादा लानत मलामत झेली थी। जब लगातार दस जीत के साथ फाइनल में पहुंची भारतीय टीम अहमदाबाद में आखिरी मुकाबले में आस्ट्रेलिया के खिलाफ 240 रन पर आउट हो गई और 107 गेंद में 66 रन बनाने पर राहुल आलोचकों का कोपभाजन बने।
टी20 विश्व कप के लिये भारत की टीम में भी उन्हें जगह नहीं मिली।मोटेरा के उस फाइनल के सत्रह महीने बाद जब दुबई में चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल में न्यूजीलैंड को चार विकेट से हराकर भारत ने तीसरी बार खिताब जीता तो अंत तक डटे रहे राहुल को जिस तरह कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली और हार्दिक पंड्या ने गले से लगाया, उसने साबित कर दिया कि इस जीत में उनकी क्या अहमियत है।
कभी पारी का आगाज करने वाले राहुल टीम की जरूरत के मुताबिक बल्लेबाजी क्रम में छठे नंबर पर उतरे और आस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में 34 गेंद में नाबाद 42 रन बनाकर टीम को जीत तक पहुंचाया। ग्लेन मैक्सवेल को जड़ा उनका विजयी छक्का क्रिकेटप्रेमियों के जेहन में उसी तरह चस्पां रहेगा जैसे वानखेड़े स्टेडियम पर विश्व कप फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ महेंद्र सिंह धोनी का छक्का।
Everybody wanted to know what we would do if we didnt win ….
People made him the culprit of world cup final.
He finished 3 pressure matches out of 3 in this CT.
The saviour KL Rahul for you pic.twitter.com/DMtXGzZzIQ
भले ही विराट कोहली की तरह वह शतक नहीं जड़ पाये या रोहित शर्मा की तरह बड़ी पारी नहीं खेली लेकिन उनके 30 . 40 रन ऐसे मुकाम से टीम को जीत तक ले गए जहां से नतीजा कुछ भी हो सकता था।
न्यूजीलैंड के खिलाफ फाइनल में श्रेयस अय्यर के आउट होने के बाद 39वें ओवर में जब वह क्रीज पर आये तब टीम को जीत के लिये 69 रन की जरूरत थी । उन्होंने मिचेल सेंटनेर को छक्का लगाकर रन और गेंद का अंतर कम किया । दूसरे छोर से अक्षर पटेल और हार्दिक पंड्या के विकेट गिरने के बावजूद वह एक छोर संभालकर डटे रहे और जीत तक पहुंचाकर ही दम लिया ।
कप्तान रोहित ने तो उनके योगदान की सराहना करते हुए यह भी कहा , राहुल का दिमाग काफी दृढ है और वह दबाव को खुद पर हावी नहीं होने देता । वह खुद तो शांत रहता ही है, साथ ही ड्रेसिंग रूम में भी वह शांति लाता है । हमें मध्यक्रम में उसकी जरूरत थी ताकि दूसरे खिलाड़ी खुलकर खेल सकें ।
विराट, रोहित, जडेजा जैसे बड़े सितारों के बीच अपनी जगह बनाना आसान नहीं था लेकिन राहुल ने अपने प्रदर्शन से उन जख्मों पर मरहम लगा दिया होगा जो नासूर बनकर पिछले डेढ साल से उन्हें चुभ रहे थे । उन्होंने बदली हुई भूमिका में खुद को ढाला और ओपनर से फिनिशर तक का सफर सुगमता से तय किया । इस टूर्नामेंट में तो वह विकेटकीपर फिनिशर रहे , महेंद्र सिंह धोनी की तरह ।
नौ साल पहले जिम्बाब्वे के खिलाफ वनडे क्रिकेट में पदार्पण करने के साथ शतक जड़ने वाले राहुल ने अपने कैरियर में कई उतार चढाव देखे और एक समय एक टीवी शो पर विवादित टिप्पणी के कारण निलंबन भी झेला लेकिन विश्व कप 2023 में खिताब के करीब पहुंचकर चूकने से बड़ा जख्म शायद ही कोई रहा हो ।
यही वजह है कि उस फाइनल के काफी बाद आर अश्विन से यूट्यूब चैनल पर बातचीत में राहुल ने कहा था , मैं अगर आखिर तक टिक जाता और 30 .40 रन और बना लेता तो हम विश्व कप जीत सकते थे। मुझे इसका खेद रहेगा ।
अहमदाबाद में उस रात स्टेडियम में मौजूद एक लाख से ज्यादा दर्शकों को उस हार ने भले ही खामोश कर दिया था लेकिन रविवार को न्यूजीलैंड पर मिली जीत ने दुबई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को नीले सागर में बदलने वाले हजारों क्रिकेटप्रेमियों के साथ 1. 4 अरब भारतीयों को जश्न में सराबोर कर दिया और कभी एक मैच से खलनायक बना यह प्रतिभाशाली खिलाड़ी फिर भारतीय टीम के जज्बाती प्रशंसकों का नूरे नजर बन गया। (भाषा)