स्वाधीनता संग्राम के सबसे कम उम्र के शहीद खुदीराम बोस
Khudiram bose life story : 11 अगस्त यानी आज वो ही दिन हैं, जिस दिन खुदीराम बोस देश की आजादी के लिए शहीद हुए थे। आज भारतीय स्वाधीनता संग्राम में सबसे कम उम्र में देश के लिए शहीद हुए वीर क्रांतिकारी खुदीराम बोस की पुण्यतिथि है, जानते हैं उनकी वीर गाथा के बारे में- Indian independence movement
आइए यहां जानते हैं खुदीराम बोस के बारे में 20 अनजानी बातें :
1. खुदीराम बोस (Khudiram Bose) सबसे कम उम्र के क्रांतिकारी थे। भारतीय स्वाधीनता संग्राम का इतिहास क्रांतिकारियों के सैकड़ों साहसिक कारनामों से भरा पड़ा है। उन्हीं क्रांतिकारियों की सूची में ऐसा ही एक नाम है खुदीराम बोस का, जो मात्र 19 साल की उम्र में ही देश के लिए फांसी पर चढ़ गए, जो शहादत के बाद इतने लोकप्रिय हो गए कि नौजवान एक खास किस्म की धोती पहनने लगे जिनकी किनारी पर 'खुदीराम' लिखा होता था।
2. क्रांतिकारी देशभक्त खुदीराम बोस का जन्म 3 दिसंबर 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में त्रैलोक्यनाथ बोस के यहां हुआ था।
3. खुदीराम बोस जब बहुत छोटे थे, तभी उनके माता-पिता का निधन हो गया था। उनकी बड़ी बहन ने उनका लालन-पालन किया था।
4. उन दिनों अंग्रेजी हुकूमत थी और खुदीराम बोस स्कूल के दिनों से ही अंग्रेजों के खिलाफ राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने लग गए थे। वे जलसे, जुलूसों में शामिल होकर अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ नारे लगाते थे।
5. उनमें देश को आजाद कराने की ऐसी लगन लगी कि उन्होंने 9वीं कक्षा के बाद ही पढ़ाई छोड़ दी और 1905 में बंगाल का विभाजन होने के बाद देश को आजादी दिलाने के लिए स्वदेशी आंदोलन में कूद पड़े। और सत्येन बोस के नेतृत्व में अपना क्रांतिकारी जीवन शुरू किया।
6. इसके बाद वे रिवॉल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और वंदे मातरम् पैम्फलेट वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
7. 1905 में बंगाल विभाजन के विरोध में चलाए गए आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
8. 28 फरवरी 1906 को खुदीराम बोस गिरफ्तार कर लिए गए लेकिन वे कैद से भाग निकले। लगभग 2 महीने बाद अप्रैल में फिर से पकड़े गए। 16 मई 1906 को उन्हें जेल रिहा कर दिया गया।
9. खुदीराम बोस मुजफ्फरपुर के सेशन जज से बेहद खफा थे, क्योंकि उसने बंगाल के कई देशभक्तों को कड़ी सजा दी थी। उन्होंने अपने साथी प्रफुल्लचंद चाकी के साथ मिलकर सेशन जज किंग्सफोर्ड से बदला लेने की योजना बनाई।
10. 6 दिसंबर 1907 को खुदीराम ने नारायगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया, परंतु गवर्नर बच गया। सन् 1908 में उन्होंने दो अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला किया लेकिन वे भी बच निकले।
11. प्रफुल्लचंद चाकी और खुदीराम बोस दोनों मुजफ्फरपुर आए और 30 अप्रैल 1908 को सेशन जज की गाड़ी पर बम फेंक दिया, लेकिन उस समय गाड़ी में किंग्सफोर्ड की जगह उसकी परिचित दो यूरोपीय महिला कैनेडी और उसकी बेटी सवार थी। किंग्सफोर्ड के धोखे में दोनों महिलाएं मारी गई जिसका खुदीराम और प्रफुल्ल चंद चाकी को बेहद अफसोस हुआ।
12. अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लगी और वैनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया। अपने को पुलिस से घिरा देख प्रफुल्लचंद चाकी ने खुद को गोली मारकर अपनी शहादत दे दी जबकि खुदीराम बोस पकड़े गए।
13. इसी तरह जब खुदीराम पकड़े गए तब उन पर हत्या का मुकदमा मात्र 5 दिन चला और 8 जून, 1908 को उन्हें अदालत में पेश किया और 13 जून को उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। आखिरकार 11 अगस्त, 1908 को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया।
14. कुछ इतिहासकार उन्हें देश के लिए फांसी पर चढ़ने वाला सबसे कम उम्र का क्रांतिकारी देशभक्त मानते हैं। उनकी शहादत के बाद विद्यार्थियों ने शोक मनाया, कई दिनों तक स्कूल बंद रहे और नौजवान ऐसी धोती पहनने लगे जिनकी किनारी पर 'खुदीराम' लिखा होता था।
15. फांसी के बाद खुदीराम बोस इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे, जिनकी किनारी पर 'खुदीराम' लिखा होता था। वे एक महान क्रांतिकारी थे।
16. अपने आने वाले भविष्य और करियर को लेकर जब एक युवा परेशान रहता है, उस बहुत कम उम्र में देश के लिए खुदीराम बोर ने अपनी जान न्योछावर कर दी तथा देश के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया।
17. इतनी क्रम उम्र में ही खुदीराम बोस ने शहादत के बाद बहुत लोकप्रियता हासिल कर ली थी।
18. कहा जाता है कि फांसी से पहले खुदीराम बोस के पैरों में रस्सी बंधी थी लेकिन चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास और देश के लिए शहीद होने का गर्व दिखाई दे रहा था।
उस तस्वीर में करोड़ों भारतीयों के साथ-साथ उन अंग्रेज शासकों के लिए भी संदेश छिपा था कि हम भारतीय सजा-ए-मौत से घबराते नहीं हैं, हमें इससे डराने की रत्तीभर भी कोशिश मत करना।
19. जब खुदीराम बोस मात्र 15 वर्ष के थे, तब ही अनुशीलन समिति का हिस्सा बन गए, जो बंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार का काम करती थी।
20. खुदीराम बोस को 11 अगस्त 1908 को मुजफ्फरपुर जेल में फांसी दे दी गई, उस समय उनकी उम्र मात्र 19 साल थी। माना जाता है कि जब खुदीराम शहीद हुए थे तब उनकी उम्र 18 साल 8 महीने और 8 दिन थी।