भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने इसमें 80,000 शब्द के साथ 395 आर्टिकल्स को 22 भागों और 8 सूचियों में बांटा था।
वर्तमान में इसमें 97 संसोधान कर 448 आर्टिकल्स को 24 भाग और 12 सूचियों में बांटा दिया गया है। पूर्व में यह संविधान जमीन के बंटवारे के सिंद्धांत पर आधारित था, जो सिद्धांत 1858 से लेकर 1947 तक चला आ रहा था।
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ब्रिटेन को छोड़कर सभी देशों के पास अपना संविधान है, जिसके आधार पर देश व राज्य की सुरक्षा व लोगों की हितों की रक्षा करते हैं। भारत के संविधान निर्माण के समय कई देशों से आर्टिकल्स लिए गए, जो हमारे लिए उपयोगी थे।
अब प्रश्न यह उठता है कि अंग्रेजों ने भारत पर दो सौ सालों तक राज किया मगर उन्हें कभी भी देश व राज्य को चलाने के लिए संविधान की जरूरत नहीं पड़ी?
आज भी उनके पास कोई लिखित संविधान नहीं है। आजादी के बाद भारत को लिखित संविधान की जरूरत क्यों पड़ी?
अगले पन्ने पर, भारत के लोगों की आदत बनी कारण...
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ब्रिटिश नेता जैक स्टॉर्व के मुताबिक ब्रिटेन का संविधान लोगों के दिल, दिमाग और आदतों में शामिल है, इसलिए यहां पर लिखित संविधान की जरूरत नहीं है। दूसरी ओर भारत में संविधान लोगों के दिमाग, दिल के साथ आदतों में शामिल नहीं है।
भारत में विभिन्न समुदाय के लोग एक साथ रहते हैं जिनकी जाति, धर्म, रीति-रीवाज और जीवन-यापन का तरीका अलग-अलग है। भारतीय लोग किसी भी मौखिक बात को जल्द नहीं स्वीकार करते हैं, इसलिए सभी को एक समान अधिकार दिलाने के लिए भारत को लिखित संविधान की जरूरत पड़ी।
दूसरा कारण : हमारे देश के लोगों को एक दायरे में रखकर एक भाव से काम करने के लिए संविधान प्रेरित करता है। संविधान निर्माण के पीछे एक यह भी था कि भारतीय लोग कानून का आदर करने के लिए प्रेरित हों।
संविधान हमें हमारे सभी मौलिक अधिकार, नैतिकता के साथ मूलभूत कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है। देश का कानून-व्यवस्था और देश्ा की अखंडता और एकता को कोई नुकसान नहीं पहुंचे, इसलिए भारत को लिखित संविधान की जरूरत पड़ी।
तीसरा कारण : संविधान धार्मिक ग्रंथ की तरह पवित्र है। यह किसी अस्पष्टता, मिथक, और कोई जादुई फार्मूलों पर आधारित नही है। अगर यह लिखित रूप में नहीं होता कोई भी इसके साथ छेड़छाड़ कर सकता था। संविधान हमारे न्याय प्रणाली का एक शस्त्र के रूप में काम करता है। इसलिए भारत में लिखित संविधान ज्यादा कारगर है।