आर्कटिक की सैर

NDND
-सत्‍येंद्र डांगी
सभी के मन में उत्सुकता रहती है कि आर्कटिक में कितनी ठंड होगी, कितनी बर्फ गिरती होगी, लोग कैसे रहते होंगे, वे क्या करते होंगे, क्या खाते होंगे, क्या पैदावार होती होगी आदि-आदि। इन्हीं जिज्ञासाओं के समाधान के लिए हमने वहाँ की यात्रा करने का निश्चय किया।

सेलिब्रिटी क्रूजेज की यह यात्रा बारह दिनों की थी तथा एम्सटरडम (नीदरलैंड) से शुरू हुई। यात्रा सेन्चुरी जहाज से शुरू हुई। यह जहाज चौदह मंजिला है। यह यात्रा नार्वे के समुद्र तट के साथ चलते हुए आर्कटिक सर्कल को पार करते हुए नॉर्थ केप पहुँची।

समुद्र किनारे पर सैकड़ों स्थानों पर समुद्र पृथ्वी के अंदर तक पहुँच जाता है। कहीं-कहीं तो यह मीलों तक होता है। ये रास्ते ऊँचे पहाड़ों से भारी ग्लेशियरों के तेज प्रवाह के कारण सैकड़ों वर्षों से बनते आ रहे हैं। इन्हें फ्यूर्ड कहते हैं। इन फ्यूर्ड्स में गिरेन्गर फ्यूर्ड, हारडेन्गर फ्यूर्ड, नार्ड फ्यूर्ड तथा सोगने फ्यूर्ड काफी बड़े एवं दर्शनीय हैं।

तीसरे दिन सुबह एलसंड पहुँचे। नार्वे के उत्तर-पश्चिम समुद्र तट पर बसा यह शहर इस देश का सबसे बड़ा मछली उत्पादक स्थान है। यहाँ सन्तमोर म्यूजियम, मार्बल चर्च, अटलांटिक सी पार्क दर्शनीय स्थल हैं।

दिनभर यहाँ सैर करने के पश्चात शाम को जहाज आगे की यात्रा के लिए चल दिया। अगले दिन हम लोग समुद्र में ही रहे। इसी दिन हमने आर्कटिक सर्कल पार किया।
यह धारणा है कि आर्कटिक क्षेत्र इतना ठंडा है कि कुछ भी नहीं उगता है तथा यहाँ रहना भी कठिन है, परंतु यह पूर्ण रूप से सत्य नहीं है। ग्रीनलैंड के अलावा अन्य स्थानों में बर्फ केवल सर्दी में ही पड़ती है।


गर्मी के मौसम में बर्फ केवल ऊँचे पहाड़ों पर होती है। यहाँ बड़े पेड़ नहीं हैं, परंतु फूल, बेर, सब्जियाँ आदि होती हैं। यहाँ आबादी कम है। इस क्षेत्र में खनिज तेल व गैस के अतुल भंडार हैं।

आर्कटिक रेखा को पार करते हुए अगले दिन हम लोग आल्टा शहर पहुँचे। यह उत्तरी नार्वे का प्रमुख शहर है। अक्टूबर से मार्च तक जब मौसम साफ रहता है तो शाम के समय यहाँ आकाश में रोशनी का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। वैज्ञानिकों की खोज से पता चला कि यहएक प्राकृतिक क्रिया है।

जब बहुत बड़ी संख्या में विद्युतकण (इलेक्ट्रॉन) पृथ्वी की ओर बड़े वेग से चुंबकीय क्षेत्र से होकर निकलते हैं तो वातावरण की ऊपरी सतह पर रगड़ खाने से इसमें व्याप्त गैसें जलने लगती हैं और तरह-तरह के प्रकाश प्रकट होते हैं। इसे 'अरोरा बोरेलिस' कहते हैं। आल्टा के समीप ही चट्टानों पर बनाए गए करीब 3000 से 5000 वर्ष पुराने चित्रों का भंडार है।

एक रात्रि फिर समुद्र में चलते हुए अगले दिन हम लोग होनिंग्सवेग पहुँचे। यह गाँव संसार का सबसे उत्तरी गाँव है। गल्फस्ट्रीम के कारण इस सारे क्षेत्र में मौसम खुशनुमा रहता है। नॉर्थ केप मीगर द्वीप पर है, जो समुद्र तल से 1000 फीट की ऊँचाई पर है। यहाँ पर उत्तरी अटलांटिक सागर तथा आर्कटिक सागर मिलते हैं। यहाँ सारे संसार के बच्चों द्वारा प्रस्तुत एक स्मारक है जो आशा, मित्रता, आनंद व शांति का प्रतीक है।

दिनभर नॉर्थ केप के मनोहारी सौंदर्य का आनंद उठाने के पश्चात शाम को हमारी वापसी की यात्रा शुरू हुई। अगले दिन हम लोग ट्राम्सो पहुँचे।
आर्कटिक सर्कल एक काल्पनिक रेखा है। इस रेखा के उत्तर में गर्मियों में लगभग छः महीने अधिकांश दिन तथा सर्दियों में अधिकांश रात्रि रहती है। उत्तरायण सूर्य के समय 21 जून को यहाँ सूर्य नहीं छिपता है तथा चौबीसों घंटे दिन रहता है।


यह शहर आर्कटिक सर्कल के उत्तर में एक टापू पर बसा है तथा चारों ओर पहाड़ों, फ्यूर्डो तथी द्वीपों से घिरा है। ट्राम्सो के पास ही ऊँचे पहाड़ों पर जाने के लिए यहाँ केबल कार चलती है जो 420 मीटर की ऊँचाई तक जाती है।

अगले पूरे दिन हम समुद्र में ही चलते रहे तथा तीसरे दिन सुबह मोल्डे नगर पहुँचे। अगले दिन हम लोग ओल्डेन पहुँचे। यह गाँव नार्ड फ्यूर्ड के आंतरिक अंतिम मुहाने पर स्थित है, जो समुद्र तट से लगभग 100 किमी अंदर है। यह छोटा सा सुंदर गाँव है, जहाँ से कई ग्लेशियरों की यात्रा की जा सकती है। ब्रिक्सडलेन ग्लेशियर लाखों साल पुराना है। जोस्टेडल्सब्रीन ग्लेशियर उत्तरी योरप का सबसे बड़ा ग्लेशियर है।

रात्रिभर चलने के पश्चात हम लोग अगले दिन अपने अंतिम पड़ाव बर्गन पहुँचे। यह शहर सात पहाड़ों तथा अनेक फ्यूर्ड से घिरा है। यहाँ अक्सर बारिश होती रहती है, इसलिए यह कहावत प्रचलित है कि बर्गन में बच्चे छाता लिए हुए पैदा होते हैं। यहाँ के ब्राइगन घाट पर लकड़ी के अनेक सुंदर मकान हैं, जो मध्यकालीन युग की याद दिलाते हैं। सेंट मेरी चर्च बारहवीं सदी की सबसे पुरानी इमारत है।