इस बार सिल्वर नहीं, गोल्ड की है उम्मीद - पीवी सिंधू
बुधवार, 14 जुलाई 2021 (19:29 IST)
रियो ओलंपिक में पहली बार भारत की ओर से रजत पदक जीतने वाली पीवी सिंधु से इस बार रजत की नहीं स्वर्ण पदक की उम्मीद की जाएगी। रियो ओलंपिक में सिंधु स्पेन की खिलाड़ी कैरोलिना मारिन के हाथों हार गई थी लेकिन सिर्फ यही इकलौती वजह नहीं है। सिंधु का खेल ही कुछ ऐसा है कि वह मैच में वापसी करने के लिए जानी जाती है।
प्रारंभिक जीवन
5 जुलाई 1995 को हैदराबाद में जन्मीं सिंधु के माता-पिता राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हैं। सिंधु के माता-पिता राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हैं। सिंधु ने 8 वर्ष की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। उनकी शिक्षा गुंटुर में हुई है। सिंधु ने अपने पिता के खेल वॉलीबॉल के बजाय बैडमिंटन इसलिए चुना क्योंकि वे पुलेला गोपीचंद को अपना आदर्श मानती हैं। सौभाग्य से वही उनके कोच भी हैं।
करियर
2012 में लंदन ओलिंपिक चैंपियन चीन की ली जुरेई को हराते हुए सबका ध्यान खींचा और सिर्फ 17 की उम्र में दुनिया की टॉप 20 खिलाड़ियों में स्थान बनाया।10 अगस्त 2013 में सिंधु ऐसी पहली भारतीय महिला बनीं जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में मेडल जीता था।
2014 में सिंधु ने एफआईसीसीआई ब्रेकथ्रू स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ दि इयर 2014 और एनडीटीवी इंडियन ऑफ दि इयर 2014 का अवार्ड जीता। 2016 के रियो ओलिंपिक के फाइनल में सिंधु स्पेन की कैरोलीना मारेन से हारकर उपविजेता रहीं और सिल्वर मेडल जीता। वे बैडमिंटन में ओलिंपिक का सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बनीं।
पीवी सिंधु ने 2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स मिक्स्ड टीम इवेंट का गोल्ड, सिंगल का सिल्वर जीता। 2018 एशियन गेम्स में महिला सिंगल्स का सिल्वर जीता।2019 में सिंधु ने वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में जापान की नोजोमी ओकुहारा को हराया और गोल्ड मेडल जीता और पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं।
बैडमिंटन में उनके योगदान के लिए 2013 में अर्जुन अवॉर्ड, 2015 में पद्मश्री, 2016 में खेलरत्न और 2020 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। 2020 में बीबीसी ने पीवी सिंधु को इंडियन स्पोर्ट्स वूमन ऑफ द ईयर घोषित किया।
वह पिछले 4 वर्षों में टॉप 10 में बनी हुई है। उनके ऐस स्मैश और डायनेमिक प्ले के साथ, भारतीय प्रशंसकों को टोक्यो ओलंपिक में उससे बहुत उम्मीदें हैं।