सुभाषचंद्र बोस और मोतीलाल नेहरू के बीच पत्र-व्यवहार
1, वुडबर्न पार्क, कलकत्ता18 जुलाई, 1928
ND
प्रिय पंडित जी,मैनें सुबह काँग्रेस की अध्यक्षता के बारे में आपको एक तार भेजा था। कल रात मुझे उसका उत्तर मिला। मैं नहीं कह सकता कि अगर किसी कारण से आप काँग्रेस के अध्यक्ष पद को नामंजूर करते हैं तो सारे बंगाल को कितनी अधिक निराशा होगी। स्वराज्य पार्टी के काम और नीति के साथ आपका जो गहरा संबंध रहा है, और बातों के अलावा इसकी वजह से भी आपका नाम इस प्रांत में सब लोग स्वीकार करते हैं। मैं दूसरे नाम का जिक्र नहीं करूँगा, किन्तु मुझे लगभग पूरा विश्वास है कि जब आखिरी नामजदगी होगी, तो सारा देश सर्वसम्मति से आपका समर्थन करेगा।
आज देश की जैसी हालत है, और सन् 1929 का साल हमारे देश के इतिहास में इतना अधिक महत्वपूर्ण होने वाला है, कि हमारी निगाह आपके अलावा और किसी व्यक्ति पर नहीं ठहरती, जो अवसर के योग्य साबित हो सके। हमने कुछ दूसरे नामों के सुझाव भी सुने हैं। और हालात दूसरे होते तो उस पर विचार किया जा सकता था, किन्तु जब विभिन्न पार्टियों को नजदीक लाने और एक सर्वसम्मत संविधान बनाने की गंभीर कोशिशें हो रही हैं, तो दूसरे नामों के सुझावों को मंजूर नहीं किया जा सकता है। यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण न होगा कि अगर किसी वजह से आप अध्यक्ष पद स्वीकार नहीं करते हैं तो इसका प्रांत पर इतना बुरा असर पड़ेगा कि काँग्रेस अधिवेशन की सफलता ही खतरे में पड़ जाएगी।
इस समय, जबकि हम गंभीर संकट से गुजर रहे हैं, क्या हम आशा नहीं कर सकते कि आप देश की पुकार का मुनासिब उत्तर देंगे?
आपका,
सुभाषचंद्र बोस
पुनश्च:-जिला बोर्डों के मतदाताओं की तादात के बारे में आपका तार मिला। मैं उनकी संख्या मालूम करने की कोशिश कर रहा हूँ, किन्तु मैं सफल हो सकूँगा, इस बारे में मुझे संदेह ही है। विभिन्न जिलों में मतदाता-सूचियाँ प्राप्त करने के बाद आँकड़ों को इकठ्ठा करने में काफी समय लग जाएगा।
मोतीलाल नेहरू का पत्र सुभाषचंद्र बोस के नाम
इलाहाबाद,
14 नवंबर, 1930
प्रिय सुभाष,
ND
डाक और तार दोनों ही का बिल्कुल भरोसा न होने की वजह से एक खास आदमी के हाथ यह खत तुम्हें यह खबर करने के लिए लिख रहा हूँ कि मैंने सोमवार 17 तारीख को पंजाब मेल से कलकत्ता आने का पक्का इरादा कर लिया है। मेरे साथ मेरी छोटी लड़की कृष्णा होगी, जो मेरी देखभाल करेगी, और एक डाक्टर दोस्त रहेंगे, जो अगर सर नीलरतन सरकार ने सिंगापुर तक का समुद्री सफर करने की सलाह दी, जिसका सुझाव मुझे दिया गया है तो, उनकी हिदायत पूरी करते रहेंगे।
मुझे मुँह से काफी खून आ रहा है और पब्लिक स्वागत को बोझ उठाना मुमकिन नहीं हो सकता। मेहरबानी करके ध्यान रखना कि ऐसा कोई स्वागत न हो और सिर्फ इने-गिने -छह से ज्यादा नहीं- निजी दोस्त ही स्टेशन पर मुझसे मिलें।
इसी वजह से मैं कार्यकर्ताओं से लंबी चर्चा का मशविरा न कर सकूँगा, लेकिन जरूरी होने पर उनमें से एक-दो खास लोगों से बातचीत करने में मुझे खुशी होगी।
मुझे शायद कलकत्ता एक हफ्ते ठहरना पड़े, जिससे मैं सर नीलरतन सरकार के या जिन दूसरे डॉक्टरों को वह बुलाना चाहें उनकी तरफ से तय किए इलाज की मियाद पूरी कर सकूँ। कुदरतन मैं इस पूरे वक्त किसी शांत जगह पर रहना चाहूँगा। क्या मेहरबानी करके मेरी टोली के ठहरने का तुम मुनासिब इन्तजाम कर दोगे? मैंने खुद कोई इन्तजाम नहीं किया है। श्री सुभाषचंद्र बोस, ,1, वुडबर्न पार्क, कलकत्ता।
तुम्हारा मोतीलाल नेहरू सभी पत्र राजशेखर व्यास की पुस्तक 'सुभाषचंद्र बोस- कुछ अधखुले पन्ने' से साभार